Tuesday, December 2, 2014

बहुत की है कोशिश


कलम से_____


बहुत की है
कोशिश
यह ढूंढने की
तुम्हारे नाम का
मेरे नाम से रिश्ता
क्या है?

नाम तेरा 
आते ही होठों पर
सर्द दुपहरी में
नर्म धूप सी खिल उठती है
पर आँखों में
बदली सी घिर आती है
धुंधली आँखों से 
कुछ साफ नहीं दिखता है
फिर अनायास ही
तेरा नाम
मेरी आँखों से
छलक उठता है

खिल उठता है
मेरी हथेली में
गुलाब सुर्ख लाल रंग का
तिरछी फांस
सा दरकता है
सीने में

अचानक ही उभर आता है
होठों पर तुम्हारा नाम
एक गीत बन कर

यही एक रिश्ता है
तुम्हारे नाम का
मेरे नाम से,
धूमिल पड़ गया है
मिटा नहीं है
अभी तेरा नाम
मेरे नाम से....... 

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/


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