Tuesday, December 30, 2014

देख लो ऐसी छोटी सी ही सही दुनियां अपनी भी हो सकती है

कलम से____
देख लो ऐसी
छोटी सी ही सही
दुनियां अपनी भी हो सकती है
दूर नहीं
आसपास में
अपने ही जहान में
सबकुछ है
छोटा सा घर
एक अदद तरणतारण ताल भी
सागर पांव धोता हुआ
हैं हरे भरे खेत भी
मीठे पानी का स्रोत भी
सुनहरी खिली खिली धूप
शांति है फैली हुई चहुँओर
कुछ और नहीं चाहिए
तो फिर चलते हैं वहाँ
बोलो हो तैयार
बहुत कहते थे न
लगता नहीं है
जी अब इस दयार में
ढूंढ लो अब कोई एक नया जहां
रह सकें सुकून में वहाँ
देखो मिल गया है
ठीक वैसा ही
छोटा सा एक जहां.......
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.

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