कलम से_____
खड़े है बीच बाज़ार
पड़ती है नज़र जिस ओर
लगी हुई सेल
चलो हम भी
कुछ खरीद लें
पड़ती है नज़र जिस ओर
लगी हुई सेल
चलो हम भी
कुछ खरीद लें
कुछ अपने लिए
कुछ उनके लिए
कुछ दोस्तों के लिए
लेन देन के
इस दौर में
यह सब चलता है
मार्केट भी खरीदारों
की खातिर ही
सजता और सवंरता है
कुछ उनके लिए
कुछ दोस्तों के लिए
लेन देन के
इस दौर में
यह सब चलता है
मार्केट भी खरीदारों
की खातिर ही
सजता और सवंरता है
कहाँ खो गए हो यारो
यहाँ सब मिलता है
खरीदार चाहिए
बस एक दिलदार नहीं मिलता है
यहाँ सब मिलता है
खरीदार चाहिए
बस एक दिलदार नहीं मिलता है
जो खुद ही बिक गया हो
खरीदार नहीं हो सकता है
बुझे मन के दिये को अब भला
कौन पुनः प्रज्वलित कर सकता है?
खरीदार नहीं हो सकता है
बुझे मन के दिये को अब भला
कौन पुनः प्रज्वलित कर सकता है?
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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