कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Sunday, December 7, 2014
कल सुबह फिर भेंट होगी तब तक गुड नाइट।
गनीमत है अभी तक हमारे यहाँ कोहरा नहीं है, देख लेते हैं तुम्हें तसल्ली मिलती है।
चाँद से चाँदनी बनी रहती है।
कल सुबह फिर भेंट होगी तब तक गुड नाइट।
शुभ रात्रि मित्रों।
— with
Puneet Chowdhary
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