कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Tuesday, December 30, 2014
Good night.
एक दिनऔर तमाम हो गया
सूरज धरती के दूसरे छोर पर सुबह बन कर छा भी गया
रात्रि का पहला प्रहर समाप्ति को ओर है
चलो हम भी विश्राम करें
निद्रा देवी को आने भी दें
कल फिर सुबह सुबह मिलेंगें।
Good night.
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