कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Tuesday, December 30, 2014
याद हैं मुझे, मेरे सब वो गुनाह
कलम से____
याद हैं मुझे,
मेरे सब वो गुनाह
एक तो मोहब्बत कर ली
दूसरा तुझसे कर ली
तीसरा बेपनाह कर ली.........
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with
Ramaa Singh
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