कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Tuesday, December 30, 2014
जाते ही क्यों हो, कुछ देर और ठहर जाते !!!
कलम से____
बेहतरीन यादों की तरह तुम क्यों आए हो
जाते ही क्यों हो, कुछ देर और ठहर जाते !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with
Puneet Chowdhary
.
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