Tuesday, December 30, 2014

मैय्या मोरी मोय आजकी छुट्टी दैदे

कलम से____
मैय्या मोरी मोय आजकी छुट्टी दैदे
हाथ पांव जड़ाय रये हैं
जमुना किनारे कछु दिखात नांय है
गोपियां सिगरी कहुं और चलीं गई हैं
अकेलौ एक मैं रह गयो हूँ
तू चाहे तो माखन मत दीजो
द्विव एक दिना की छुट्टी हमकों अब दैदे
गंइयन को तू कोय संग पठय दै
आज बस तोरे संग रहूँगो
घेर में ही हुडुदंग करूँगो
सुन कान्हा की भोलीभाली बतियां
मैय्या उठ कान्हा कंठ लगायो
(कुछ लीक से हट कर अगर अटपटा लगै तो क्षमा)
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.

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