कलम से____
बस स्टॉप पर
लोहे की रेलिंग पर
एक लड़का फालतू बैठा
सरदी के मौसम में
धूप का मजा
ले रहा था
एक लिफाफे से निकाल
मूंफली मेवा खा रहा था
एक लड़की
बस के इंतजार में
आकर पास ही
बैठ गई
मनचले लड़के से
रहा न गया
मूंफली का लिफाफा
उस लड़की की
ओर बढ़ा कर बोला
'गरीब हूँ न खुशियाँ बाँट सकता हूँ
न सही चाकलेट
यह सर्दी की मेवा तो आपकी खिदमत में पेश कर सकता हूँ'
लड़की ने मुस्कुराते हुये मूंफली ले ली
छिलके फेंकने के लिए दूसरी थैली पेश कर दी।
हम जैसे बुजुर्ग यह सब देख बिस्मित हो रहे थे
जवानी के दिनों को याद कर मन ही मन खुश हो रहे थे।
पैक अप।
आवाज कान में पड़ी
पता लगा कि यहाँ
स्वच्छ भारत अभियान की शूटिंग हो रही है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
बस स्टॉप पर
लोहे की रेलिंग पर
एक लड़का फालतू बैठा
सरदी के मौसम में
धूप का मजा
ले रहा था
एक लिफाफे से निकाल
मूंफली मेवा खा रहा था
एक लड़की
बस के इंतजार में
आकर पास ही
बैठ गई
मनचले लड़के से
रहा न गया
मूंफली का लिफाफा
उस लड़की की
ओर बढ़ा कर बोला
'गरीब हूँ न खुशियाँ बाँट सकता हूँ
न सही चाकलेट
यह सर्दी की मेवा तो आपकी खिदमत में पेश कर सकता हूँ'
लड़की ने मुस्कुराते हुये मूंफली ले ली
छिलके फेंकने के लिए दूसरी थैली पेश कर दी।
हम जैसे बुजुर्ग यह सब देख बिस्मित हो रहे थे
जवानी के दिनों को याद कर मन ही मन खुश हो रहे थे।
पैक अप।
आवाज कान में पड़ी
पता लगा कि यहाँ
स्वच्छ भारत अभियान की शूटिंग हो रही है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment