Thursday, November 20, 2014

न यह सूरज है, न है चाँद।





कलम से____

न यह सूरज है
न यह है चाँद 
किसी कलाकार
की कल्पना है मात्र,
मैं जानता हूँ मानता हूँ
बस इसे एक
बुलबुला,
हम सबके जीवन
के समान।

स्वच्छंद वायुमंडल में
घूमो फिरो
लोगों के जीवन को
सतरंगी और आनंदित करो
फिर अपनी राह चलो।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

  http://spsinghamaur.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment