कलम से____
सोचा था बदल जाऊँगा मैं
तुम्हारे लिए,
वैसे तो कोई कमी दिखती न थी
स्वयं में !
हाँ, यह बात भी सच है
तुमने ऐसा कुछ देखा होगा
महसूस किया होगा
जो रास
तेरी तबीयत को आया न होगा !!!
मिलजुल कर ही
चलती है जिन्दंगी
राज़ यह समझ आ गया
वापस आ रहा हूँ
दूर जाकर,
तेरी
और अपनी
आवाज सुनकर, मैं !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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