कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Wednesday, November 19, 2014
कितनी रंगीनियत बिखरी हुई है।
कलम से____
कितनी रंगीनियत है बिखरी हुई
आने जाने वालों का दिल फिदा हो ही जायेगा
बुलाएगा भला जब अपना कोई यहाँ
कदम अपने आप चले आयेगें यहाँ !!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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