कलम से_____
हर तरफ तम है, है तम का घेरा
कौन कहता है, है ये अदभुत सवेरा।
चाहती है किरन कि चमके मगर
खुद दिवा पर घना है अंधेरा।
फूल रोते हैं, शूल हँसते हैं
यह कौन सा है चितेरा।
घोंसला हमने खुद उजाड़ा
अब ढूँढते हैं, कहाँ है बसेरा।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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