Wednesday, November 5, 2014

आज कुछ नहीं कहूँगा।




कलम से____

आज मन कुछ
लिखना नहीं चाहता
गुरू की वाणी 
बस सुनना है चाहता !!

कागा सुबह सुबह
आकर कह गया
सुनना बस आज
सुनने का दिन
 है आ गया !!

दिन भर आज
सुनूँगा सबकी
अपनी न कहूँगा
कई दिनों से कह रहा हूँ
आज अपने गुरू की सुनूँगा !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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