कलम से____
चितवन वृक्षों की
एवेन्यू
से गुजरते हुए
मन अत्यंत प्रसन्न हुआ
उसके फूलों के
खिलने का आभास हुआ
नैसर्गिक आनंद की
अनुभूति हुई
खुशबू जब उसकी
नासिका में पड़ी।
कुछ लोगों को
यह नशेमन सी लगती है
किसी को यह समझ नहीं आती है
किसी के सिर में यह दर्द करती है
मैं अपनी बात कहता हूँ
मुझे यह बहुत अच्छी लगती है।
यह खुशबू अब हर रोज़ मिलेगी
होलिकोत्सव तक मन मोहती रहेगी
यहाँ आने को प्रेरित करती रहेगी
और भी पेड़ पौधे हैं यहाँ जो आकर्षित करते हैं
हम जैसे कुछ लोग यहाँ बस इसीलिए आते हैं
आओ एक दिन तुम, तुमको भी दिखलाऊँ
जो न कह सका तब, शायद अब कह पाऊँ.....
आओ एक दिन धूप का आनंद उठायें
कुछ पुराने गीत गुनगुनायें.....
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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