कलम से_____
भीड़ के बीच हर कोई
कुछ न कुछ ढूँढ रहा है
कोई नदिया पार करने का सहारा
कोई वजूद अपना ढूढं रहा है।
जिसको सहारा तिनके का भी मिल गया
खुशनसीब है बहुत
इन्सान, इन्सान को यहाँ ढूंढ रहा है।
मिलते नहीं हैं दोस्त, आजकल
दोस्तों की भीड़ में
दोस्त, दोस्ती को ढूढं रहा है।
महबूब बनने को
मिल जाएगें कई
हर कोई अपने चेहरे पर
मुल्लमा चढ़ा कर घूम रहा है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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