कलम से____
तुम हो दोनों मित्र मेरे
कैसे कह दूँ
एक को अलविदा
चाहूँगा कुछ देर के लिए
तुम ऐसे ही ठहर जाओ
जाने वाले कुछ पल को रुक जाओ
आने वाले तुम भी पल दो पल को थम जाओ।
नहीं रुकोगे, नहीं रुकोगे
चलो फिर तुम जाओ
तुम भोर बन आओ
प्रकाशित जग को कर जाओ।
अलविदा भी
स्वागत भी........
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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