कलम से____
चौराहे के पास घर है मेरा
पता ढूंढना आसां है
सुबह सुबह से चहल पहल
बसों के हार्न ट्रकों के टायर की आवाज आती रहती है
मुसाफिरों की चिल्लपों अलग से कानों में पडती रहती है
शांति नहीं हैं पर अब इसी अशांति में शांति मिलती हैं
शहरों की भीड रास नहीं आती
पर यह जगह भी अब छोड़ी नहीं जाती
यह एक मजबूरी है
मजबूती की यह मजबूरी है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
चौराहे के पास घर है मेरा
पता ढूंढना आसां है
सुबह सुबह से चहल पहल
बसों के हार्न ट्रकों के टायर की आवाज आती रहती है
मुसाफिरों की चिल्लपों अलग से कानों में पडती रहती है
शांति नहीं हैं पर अब इसी अशांति में शांति मिलती हैं
शहरों की भीड रास नहीं आती
पर यह जगह भी अब छोड़ी नहीं जाती
यह एक मजबूरी है
मजबूती की यह मजबूरी है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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