कलम से____
खोज करते करते
रात कल वो
दिख गया
तारों के बीच हँस रहा था
कुछ शरमाता हुआ
प्यारा सा अपना चाँद
आसमान में टकटकी लगाये
मुझे ही देखता हुआ
मिल गया
पूछा जब अकेले हो क्यों
कहने लगा, कहाँ हूँ मैं अकेला
साथ है यामिनी और चाँदनी
साथ है नभ और तारे यहाँ
साथ है सूरज भी मेरे
बिना जिसके बजूद मेरा कहाँ
साथ हैं मेरे
टकटकी लगाए देखता यह जहां ...
मेरे पास पत्नी जी भी आ गईं
हाथ उनके अपने हाथ लेकर
हम दोनों निहारते रहे यह समां....
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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