Tuesday, May 5, 2015

लौ उम्मीद की मुझे अब, तब दिखती है जिदंगी ज़द्दोज़हद में ही सही, रफ्ता रफ्ता चलती रहती है !!

कलम से _____

लौ उम्मीद की मुझे अब, तब दिखती है
जिदंगी ज़द्दोज़हद में ही सही, रफ्ता रफ्ता चलती रहती है !!

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in


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