Friday, June 19, 2015

तुम्हीं बचाओ अब हे नाथ बटेश्वर।


कलम से____

ए भोले तुम अभी भी न ड़ोले
हम हारे करते जै बम भोले ।
वक्त करीब है अब कितना
तुमको तांडव है अब करना।
पाप धरा पर है चरम पर
करो मुक्त इसे तुम विशधर।
धरती है विनाश के कगार पर
काले नागों से करो हे मुक्तेश्वर।
नारी सम्मान बिक रहा पल पल
तुम्हीं बचाओ अब हे नाथ बटेश्वर।

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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