Sunday, June 21, 2015

पक्षी ही आके दिल बहलाये दाना डालूँ तो चुग जाये.....


इस घर को भी 
एक आंगन की तलाश रहती है
कभी कोई आये 
बतियाते
.....और नहीं तो
पक्षी ही आके दिल बहलाये
दाना डालूँ तो चुग जाये.....



©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/





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