कलम से____
हवेली की चौथी मंजिल पै
अटरिया बनबाय दयी है
मालती की बेल लगी है
फूलन सौं लदाय रयी है
अब आय जाऔ औ' पधारो
ठाकुर जी तुम मेरे मन बैठौ
राधे, श्याम कौं बुलाय रयी है।
सामनैं बैठ मैं तोय निहारेंगौ
मन भीतर राधेश्याम कहेगौं।
राधे राधे।जै राधे राधे।राधे राधे।
//surendrapal singh//
http://1945spsingh.blogspot.in/
हवेली की चौथी मंजिल पै
अटरिया बनबाय दयी है
मालती की बेल लगी है
फूलन सौं लदाय रयी है
अब आय जाऔ औ' पधारो
ठाकुर जी तुम मेरे मन बैठौ
राधे, श्याम कौं बुलाय रयी है।
सामनैं बैठ मैं तोय निहारेंगौ
मन भीतर राधेश्याम कहेगौं।
राधे राधे।जै राधे राधे।राधे राधे।
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