कलम से____
बेनकाब इनको कर दो
रह न जाये कुछ पास
नंगा इन्हें इतना कर दो
आखँ शर्म से झुकी रहे।
गुनाह किया है कुछ ऐसा
घिन आती है बताते भी
खुद तो बेआबरू हुए हैं
दूसरे की भी निगाह नीची है।
इनको माफ कर दें
हैैं इस काबिल नहीं
रहेंगे कैसे सभ्य समाज में
जड खोद म्ठ्ठा उसमें भर दो
पाप इन्होंने किए ही ऐसे हैैं
इनकी नस्ल भी पैदा न हो
कुछ ऐसा कर भर दो।
गुनाह इतने हैं अधिक
कितने गिनाओगे उंगलियाँ
पर भी समा न पाएगें
फिर भी क्या एक मौका
सुधरने का समझने का
देने की इन्हें सोच पाओगे।
(On juvenile crimes involvement like rape and murders)
//surendrapalsingh//
08 07 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
बेनकाब इनको कर दो
रह न जाये कुछ पास
नंगा इन्हें इतना कर दो
आखँ शर्म से झुकी रहे।
गुनाह किया है कुछ ऐसा
घिन आती है बताते भी
खुद तो बेआबरू हुए हैं
दूसरे की भी निगाह नीची है।
इनको माफ कर दें
हैैं इस काबिल नहीं
रहेंगे कैसे सभ्य समाज में
जड खोद म्ठ्ठा उसमें भर दो
पाप इन्होंने किए ही ऐसे हैैं
इनकी नस्ल भी पैदा न हो
कुछ ऐसा कर भर दो।
गुनाह इतने हैं अधिक
कितने गिनाओगे उंगलियाँ
पर भी समा न पाएगें
फिर भी क्या एक मौका
सुधरने का समझने का
देने की इन्हें सोच पाओगे।
(On juvenile crimes involvement like rape and murders)
//surendrapalsingh//
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