Tuesday, March 17, 2015

यह ज़मी तेरी रहने दे आसमान मेरा





कलम से____

ज़मीं को छोड़ दिया उनकी खातिर
फलक पर लिया है दम जाकर
करना है कर ले तू अब मरज़ी अपनी

यह ज़मी तेरी रहने दे आसमान मेरा

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
.

No comments:

Post a Comment