Tuesday, August 18, 2015

उमड़ता हो मचलता हो धड़कता हो सीने में ,


कलम से____

उमड़ता हो मचलता हो
धड़कता हो सीने में , 
ये सारी नेंमतें हो तो.. 
मज़ा आता है जीने में ,
तसव्बुर में कोई आए
आके रुसवा भी कर जाये
तक्कलुफ़ इस तरह हो ,
तो मज़ा आता है पीने में....

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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