Thursday, January 23, 2020

ट्रेवल स्टोरीज - एस पी सिंह

ट्रेवल स्टोरी:
Gent Belgium का एक बहुत छोटा ऐतिहासिक शहर है। कल Travel XP पर जब मैं एक TV पर प्रोग्राम Gent के ऊपर देख रहा था तो बहुतेरी बातें 1982 के वक़्त की याद हो आईं, जब मैं अपनी यूरोप की पहली यात्रा पर गया था। खैर उन सब बातों की बातें फ़िर कभी फ़िलहाल तो अभी दिमाग़ में जो चल रहा है उस पर केंद्रित करना ही ठीक रहेगा।
Gent में एक गलियारा ऐसा भी है जहां उस शहर के रहने वाले कलाकार, क्षात्र और क्षात्राएँ, लेखक, बुद्धिजीवी कहे जाने वाले इंसान अपनी अपनी बातें गलियारे की दोनों ओर पड़ने वाली दीवारों पर अपने अपने ढंग से प्रकट करते रहते हैं। Gent शहर की आबादी उस गलियारे से निकलते हुए यह जान लेती है कि वहां के लोग क्या कहना चाह रहे हैं। अभिव्यक्ति का यह अभिनव प्रयोग वहां बेहद सफल है। लोग वहां जगह - जगह जुट कर अपनी बात झक - झक कर नहीं करते बल्कि अपनी बात शांत मन से कहते हैं और सुनते भी हैं।
....पता नहीं अपने यहां भारत में यह कभी मुमकिन हो सकेगा अथवा नहीं जहां अभिव्यक्ति की आज़ादी को इस क़दर हवा दी जा रही है कि शासक और प्रजा के बीच हर बात पर ठनाठनी नज़र आ रही है। जेएनयू शायद अभिव्यक्ति की आज़ादी का प्रतीक बन कर इतिहास के पन्नो में दर्ज़ होकर मिट जाए लेकिन लोगों की यादों के गलियारे में बने औंडे - भौंडे विभिन्न चित्र कभी अपनी कहानी कहने में समर्थ हो सकेंगे?
एस पी सिंह
24/01/2020

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