कलम से _ _ _ _
बंधन मे वंधा नही,
तीर से विदा नही,
परिधि से हटा नही,
दिल से कभी लुटा नहीं ।
आजाद गगन का पंछी
बन रहा सदा,
बंदिशं मुझे पसंद नहीं,
न दो मुछे सजा ।
मैने अपनी हदे खुद बनाई है,
इनसे मुछे कोई एतराज नही है ।
//surendrapalsingh//
07252014
http://1945spsingh.blogspot.in/
बंधन मे वंधा नही,
तीर से विदा नही,
परिधि से हटा नही,
दिल से कभी लुटा नहीं ।
आजाद गगन का पंछी
बन रहा सदा,
बंदिशं मुझे पसंद नहीं,
न दो मुछे सजा ।
मैने अपनी हदे खुद बनाई है,
इनसे मुछे कोई एतराज नही है ।
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http://spsinghamaur.blogspot.in/
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