कलम से _ _ _ _
खुद ही हम अपने लिऐ नये आयाम बनाते है,
सीमाएँ बनाते है,
कहाँ जाना है,
कितनी दूर जाना है,
कैसे जाना है,
वगैरह-वगैरह ।
आज जो किया है,
उससे अच्छा करना है,
कल जो किया था,
पुराना पड गया है,
बस आगे-आगे ही बढ़ना है,
पीछे मुड़ के नही देखना है।
यही जज्बा है,
कि नये आयाम बनाना है।
//surendrapalsingh//
07252014
http://1945spsingh.blogspot.in/
खुद ही हम अपने लिऐ नये आयाम बनाते है,
सीमाएँ बनाते है,
कहाँ जाना है,
कितनी दूर जाना है,
कैसे जाना है,
वगैरह-वगैरह ।
आज जो किया है,
उससे अच्छा करना है,
कल जो किया था,
पुराना पड गया है,
बस आगे-आगे ही बढ़ना है,
पीछे मुड़ के नही देखना है।
यही जज्बा है,
कि नये आयाम बनाना है।
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http://spsinghamaur.blogspot.in/
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