Monday, January 26, 2015

नापाक इरादे हों जिनके उन पर ऐतबार कभी तुम मत करना, लड़ते लड़ते मर जाना हार कभी तुम स्वीकार मत करना।


कलम से_____

नापाक इरादे हों जिनके उन पर ऐतबार कभी तुम मत करना,
लड़ते लड़ते मर जाना हार कभी तुम स्वीकार मत करना।

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली है भीगी भीगी सी पर चिंता की कोई बात नहीं है, उत्साह बराबर बना हुआ है।

©सुरेंद्रपालसिंह 2015

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