Sunday, January 18, 2015

पोस्टकार्ड


कलम से____

ख्वाब में
रात्रि के अंतिम पड़ाव में
यादों की परतों के नीचे से
कुछ दिख गया
पोस्टकार्ड
वही पुराना
अंग्रेजों के वक्त का
लिखावट
देवनागरी में थी
कुछ जानी पहचानी
सी लगी

18/12/1947
मेरे प्यारे ....
सदैव प्रसन्न रहो।
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शुभेच्छु,

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©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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