कलम से____
(एक नया प्रयोग है यह बृज भाषा में। हो सकता है पसंद आए। तो आशीर्वाद दीजिएगा)
बहती नदिया चलौ हमऊँ हाथ धोयलें
नैय्या तो चलैगी ही कमाई कछु करलें।
सिगरे नेतन कौ बस्स एक काम
नदी में आवे बाढ़ घर में बाढें दाम।
लूट लूट कें करि रये हैं खूब कमाई
काम न कछु करिवे कौं है रयी गुन्ड़ई।
कस्मे वादे रोजीना करि रये नये नये
बिजुरी चौबीस घन्टनकौ खेल है नयो।
दम भरिवे कों भरवाय लो कछु कहलवाय लो
चुनावन के दिनन में रंग कोई सौ लगवाय लो।
हैवेकों कछु नाय होयगो कहिवे कौं कछु कहलवाय लो
नेतन कौं जेब आपनी है भरनी चाहो तौ तुम झाडू लगवाय लो।
प्रजातंत्र कौं खेल खेल रये जे खूब खिलाड़ी हैं
बाकी भैय्या लोग लुगाई तौ सिगरे अनाड़ी हैं।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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