कलम से____
भगवान न कुछ लेता है
न वह कुछ देता है
जो आप चढ़ाते हो
भेंट समझ
वह
पुजारी का भोजन
होता है।
फूल
जो हो आप
चढ़ाते
झाडू से हैं
झाड़े जाते
फिर कूड़े के ढेर में
जाकर बजूद
अपना खो देते।
पत्थर के देवता
ऐसे ही नहीं पसीजते
न वह कुछ कहते
न ही वह कुछ बोलते।
हँस बोल लिया करो उससे
जो बोले
जो हँसे
इन्सानों की दुनियाँ
है भरी पड़ी इन्सानों से
ढूँढ लो उसे जो तुम्हारी सुने
सुनकर हँसे या रो पड़े.........
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
भगवान न कुछ लेता है
न वह कुछ देता है
जो आप चढ़ाते हो
भेंट समझ
वह
पुजारी का भोजन
होता है।
फूल
जो हो आप
चढ़ाते
झाडू से हैं
झाड़े जाते
फिर कूड़े के ढेर में
जाकर बजूद
अपना खो देते।
पत्थर के देवता
ऐसे ही नहीं पसीजते
न वह कुछ कहते
न ही वह कुछ बोलते।
हँस बोल लिया करो उससे
जो बोले
जो हँसे
इन्सानों की दुनियाँ
है भरी पड़ी इन्सानों से
ढूँढ लो उसे जो तुम्हारी सुने
सुनकर हँसे या रो पड़े.........
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://
No comments:
Post a Comment