कलम से_____
जीवन है, तन्हाई मिलती नहीं है।
कुछ कह लूँ
कुछ सुन लूँ
मन की कुछ
अपने दिल की
पीड़ा कह लूँ
मौसम है माकूल,
पर अमराई नहीं है।
थोड़ा सा कुछ
दर्द मैं भी सह लूँ
कुछ पीर तुम्हारी
मैं हर लूँ
जीवन है, तन्हाई मिलती नहीं है।
बुना जो तानाबाना
निशब्द शब्दों का जाल
खो गए न जाने कहाँ
सब सुर औ' ताल
सागर है,
पर सागर सी गहराई नहीं है।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
जीवन है, तन्हाई मिलती नहीं है।
कुछ कह लूँ
कुछ सुन लूँ
मन की कुछ
अपने दिल की
पीड़ा कह लूँ
मौसम है माकूल,
पर अमराई नहीं है।
थोड़ा सा कुछ
दर्द मैं भी सह लूँ
कुछ पीर तुम्हारी
मैं हर लूँ
जीवन है, तन्हाई मिलती नहीं है।
बुना जो तानाबाना
निशब्द शब्दों का जाल
खो गए न जाने कहाँ
सब सुर औ' ताल
सागर है,
पर सागर सी गहराई नहीं है।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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