कलम से____
................ पार्क
की इस बैंच
को
रहता है
इंतजार।
मेरा वह अब
आता ही होगा
इसी आस में
सूरज आकर ठहर गया
कुहासे के पीछे...
करता रहता हूँ
मैं
बसंत पंचमी
का
इंतजार
जब मेरा फिजीशियन
दे देगा
परमीशन
फिर से बाहर जाने की
घूमने की
अपने मन माफिक
फिरने की.....
तसल्ली रख
चार रोज़
और सही....
मीत मेरे कर लेना
मेरा इंतजार...
मिलूँगा वहीं
पार्क की बैंच पर।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
................ पार्क
की इस बैंच
को
रहता है
इंतजार।
मेरा वह अब
आता ही होगा
इसी आस में
सूरज आकर ठहर गया
कुहासे के पीछे...
करता रहता हूँ
मैं
बसंत पंचमी
का
इंतजार
जब मेरा फिजीशियन
दे देगा
परमीशन
फिर से बाहर जाने की
घूमने की
अपने मन माफिक
फिरने की.....
तसल्ली रख
चार रोज़
और सही....
मीत मेरे कर लेना
मेरा इंतजार...
मिलूँगा वहीं
पार्क की बैंच पर।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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