कलम से____
क्यों पिलाती हो मय इतनी,
आँखों से लाली मेरे उतरती ही नहीं
होश सभाँलू तो कहूँ
याद तेरी न आए ऐसी
कोई रात जाती ही नहीं.......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
क्यों पिलाती हो मय इतनी,
आँखों से लाली मेरे उतरती ही नहीं
होश सभाँलू तो कहूँ
याद तेरी न आए ऐसी
कोई रात जाती ही नहीं.......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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