Sunday, January 18, 2015

मुद्दत से चला आता है हर शाम, ग़म ताज़ा नहीं है


कलम से_____

मुद्दत से चला आता है हर शाम, ग़म ताज़ा नहीं है
तुम्हें शायद इस बात का अन्दाज़ा नहीं है !!!

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
 

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