Thursday, January 29, 2015

एक नीम अपने आगंन हो, होती है इच्छा सबकी,



एक नीम अपने आगंन हो, होती है इच्छा सबकी,
कुछ की पूरी होती, रह जाती है कुछ की आधीअधूरी।

कलुआ जाटव का आंगन खाली है
एक पेड नीम का हो इच्छा भारी है।

विरवा होगा तो चिडियां भी आएंगीं,
जीवन की आशाएँ पूरी हो जाएंगी।

नीम नीचे खाट बिछा सोने में लगता अच्छा है,
नीदं आए गहरी और मजा खूब आता है।

उधार किस किस का कब कब देना है,
चिंता इसका बिल्कुल नहीं सताती है।

नीम का एक विरवा जो मै लगाऊँगा,
फल उसका पीढी दर पीढी पाऊँगा।


©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/


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