कलम से____
इंतजार करता होगा वहां कोई मेरा
गिलास और बोतल शराब की लेकर
बादल राह बदल अपनी घिरने लगे हैं
सिदूंरी शाम हो ऐसी वो कहने लगे हैं
मौसम की सरद रात रोज आती है
यादें भी उनकी साथ चली आती हैं
जाऊँ या न जाऊँ उलझन है खड़ी
गलबहियाँ ड़ाल कर रोकता कोई
इठलाती हुई शाम की मस्ती होगी
मयखाने में शराब बरसती होगी
मैं देर से ईमान के कमरे में कैद हूँ
वहाँ वो मेरे होठों को तरसती होगी.....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
इंतजार करता होगा वहां कोई मेरा
गिलास और बोतल शराब की लेकर
बादल राह बदल अपनी घिरने लगे हैं
सिदूंरी शाम हो ऐसी वो कहने लगे हैं
मौसम की सरद रात रोज आती है
यादें भी उनकी साथ चली आती हैं
जाऊँ या न जाऊँ उलझन है खड़ी
गलबहियाँ ड़ाल कर रोकता कोई
इठलाती हुई शाम की मस्ती होगी
मयखाने में शराब बरसती होगी
मैं देर से ईमान के कमरे में कैद हूँ
वहाँ वो मेरे होठों को तरसती होगी.....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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