कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Tuesday, January 13, 2015
बेहतरीन यादों की तरह तुम आए ही क्यों जाते क्यों हो अब, कुछ देर और ठहर जाते !!!
कलम से_____
बेहतरीन यादों की तरह तुम आए ही क्यों
जाते क्यों हो अब, कुछ देर और ठहर जाते !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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