Thursday, January 8, 2015

ऐ मेरे दिल कहीं और चल गम की दुनियाँ से दिल भर गया


कलम से_____

ऐ मेरे दिल कहीं
और
चल गम की दुनियाँ से
दिल भर गया

लगता नहीं है
दिल मेरा टूटे दयार में

दरवाजे खुले रखता हूँ
फिर भी वह जो
है फरिश्ता कहलाता
कभी नहीं आता
पत्थर पूजते पूजते
हूँ थक गया, मैं
विश्वास ऊठता
अब जा रहा है
हर रात को इंतजार है रहता
दिल है कि बेसब ही बेकरार रहता है.......

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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