कलम से____
सोचा ना था कभी
ऐसी दोस्ती होगी
मेरे आप जैसे
लोगों की हस्ती होगी
जन्नत की गलियों के
ख्वाब क्यूँ देखूँ
ऐसी दोस्ती होगी
मेरे आप जैसे
लोगों की हस्ती होगी
जन्नत की गलियों के
ख्वाब क्यूँ देखूँ
जब रोज़ होते हैं
रूबरू आपसे से......
रूबरू आपसे से......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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