कलम से____
छोड दूँगी सब
नाच गाना
देगा अगर तू
कोई उल्हाना
सौतन के पास
भूल कर भी न जाना
समझा क्या है
कट जाएगी
एक म्यान में
तलवार एक ही
रह पाएगी
नहीं हूँ मैं
कोई ऐसी वैसी
नौच लूँगी मुहँ
उसको जो
डालेगा बुरी नज़र
तुझपे
देखूँ तो तड़प
उसकी भी जरा मैं भी
चाहती है कितना
तुझे वो.....
शहर में चलता होगा
होता होगा यह
रोज तमाशा
हरजाई भी होंगे बहुत से
मरु में न चलेगा
कुछ भी ऐसा
मेरा है तू बस
मेरा ही रहेगा !!!
आ चल चलें
नाचें गायें
इक दूजे के लिए
बने हैं
इस मरु में ही खो जायें....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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