कलम से _ _ _ _
एक वो भी जमाना था.....
आपने अक्सर सुना होगा अपने बुजुर्गों से,
आज की पीढ़ी बडा ताज्जुब करती है
इस कथनी पर,
वह यह भूल जाती है कि लोग आज के लिए भी तो कहते है कि,
इक ये भी जमाना है।
दोस्तों, फर्क है यह दो और दो से अधिक पीढ़ियों का।
मुझे याद पड़ता है,
मेरे दादी अम्मा ने कभी यह मुझसे कहा था,
तेरे बाबूजी को तेरी माँ ने प्रपोज किया था।
इक वो भी जमाना था....
(1939-40)
मैंने अपनी दादी अम्मा से पूछा,
ये सब कैसे हुआ था,
हँस के बोली कि सुन हुआ था कुछ ऐसे,
तेरी माँ ने देखा था किसी
अपने दोस्त की शादी मे तेरे बाबूजी को,
बुला भेजा था अपने पिताजी को
उनसे कहा था कि वो शादी करेंगी तो केवल तेरे बाबूजी से।
बस फिर क्या था,
तेरी माँ थी बहुत सुदंर
कर दी थी हाँ हमने भी भन के अंदर,
आनन फानन व्याह हुआ अति सुंदर ।
इक वो भी जमाना था....
इक ये भी जमाना है.......
(2013-14)
लड़का बोले महबूबा से,
बहुत हुआ मिलना मिलाना,
आ कर लें शादी,
घर है जो बसाना,
लड़की बोले क्या रखा,
घर बसाने में?
रहते हैं ऐसे ही,
लिविगं रिलेशनशिप में,
हमें नहीं बढ़ाना है
कुनबा अपना
नहीं बढाएगें सिर दर्द अपना।
दोस्तों, एक वो भी जमाना था
इक यह भी जमाना है
हमको तो यहाँ यूं ही आना है
और ऐसे ही जाना है।
//surendrapalsingh//
07 27 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
एक वो भी जमाना था.....
आपने अक्सर सुना होगा अपने बुजुर्गों से,
आज की पीढ़ी बडा ताज्जुब करती है
इस कथनी पर,
वह यह भूल जाती है कि लोग आज के लिए भी तो कहते है कि,
इक ये भी जमाना है।
दोस्तों, फर्क है यह दो और दो से अधिक पीढ़ियों का।
मुझे याद पड़ता है,
मेरे दादी अम्मा ने कभी यह मुझसे कहा था,
तेरे बाबूजी को तेरी माँ ने प्रपोज किया था।
इक वो भी जमाना था....
(1939-40)
मैंने अपनी दादी अम्मा से पूछा,
ये सब कैसे हुआ था,
हँस के बोली कि सुन हुआ था कुछ ऐसे,
तेरी माँ ने देखा था किसी
अपने दोस्त की शादी मे तेरे बाबूजी को,
बुला भेजा था अपने पिताजी को
उनसे कहा था कि वो शादी करेंगी तो केवल तेरे बाबूजी से।
बस फिर क्या था,
तेरी माँ थी बहुत सुदंर
कर दी थी हाँ हमने भी भन के अंदर,
आनन फानन व्याह हुआ अति सुंदर ।
इक वो भी जमाना था....
इक ये भी जमाना है.......
(2013-14)
लड़का बोले महबूबा से,
बहुत हुआ मिलना मिलाना,
आ कर लें शादी,
घर है जो बसाना,
लड़की बोले क्या रखा,
घर बसाने में?
रहते हैं ऐसे ही,
लिविगं रिलेशनशिप में,
हमें नहीं बढ़ाना है
कुनबा अपना
नहीं बढाएगें सिर दर्द अपना।
दोस्तों, एक वो भी जमाना था
इक यह भी जमाना है
हमको तो यहाँ यूं ही आना है
और ऐसे ही जाना है।
//surendrapalsingh//
07 27 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteसही कहा आपने दुनिया बदल रही है।
महानुभाव आपने कविता को सराहा, मैं ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
ReplyDeleteमहानुभाव आपने कविता को सराहा, मैं ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
ReplyDelete