कलम से _ _ _ _
कल रात तुमने कहा था,
चलो चलते हैं अब यहाँ से,
दिल जो भर गया है यहाँ से,
थोडी देर कुछ थमो,
कुछ छण और रुको,
बुला रहा है कोई,
चिलमन की ओट से,
डर है कि कहीं मेरी माँ न हो,
देर हो जाएगी कुछ और उसको समझाने में,
माँ है आखिर वो मेरी तेरी भी कुछ है,
जाना दूर इतना है जहां से लौट कर आना मुश्किल है,
आखं नम उसकी होंगी हमारी भी कम नहीं होंगी,
विदाई की घडी दुखदाई बहुत होगी,
फिर भी रो लेने के बाद हम सभलेंगे और चलेंगे,
मान जाएगी वो मेरी बात,
मुझे यकीन है बस तू मुझ में यकीन कर।
थोडा सुस्ता लें,
फिर निकलते है मंजिले मकसूद को,
जाना जहाँ है हमें,
रहना मजबूत मुकुर जाना नहीं_____
_ _ _ _
साथ रहे हम हर पल,
अब कहते हो जाओगे अलग,
न मै जाऊँगी कहीं,
न जाने दूंगी तुमको और कहीं।
बांध के रखा है तुम्हें,
प्रीत की डोर से,
टूटने न दूंगी इसे,
किसी और के लिए,
ले जाने न दूंगी उसे, तुम्हें।
सदा रहना करीब तुम,
चलेंगें साथ साथ हम तुम,
जब आएगा वो,
और कहेगा चलो,
अब वक्त हो गया है।
तब चलेंगें साथ हम तुम,
तब चलेंगें साथ हम तुम।
//surendrapal singh//
07182014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
कल रात तुमने कहा था,
चलो चलते हैं अब यहाँ से,
दिल जो भर गया है यहाँ से,
थोडी देर कुछ थमो,
कुछ छण और रुको,
बुला रहा है कोई,
चिलमन की ओट से,
डर है कि कहीं मेरी माँ न हो,
देर हो जाएगी कुछ और उसको समझाने में,
माँ है आखिर वो मेरी तेरी भी कुछ है,
जाना दूर इतना है जहां से लौट कर आना मुश्किल है,
आखं नम उसकी होंगी हमारी भी कम नहीं होंगी,
विदाई की घडी दुखदाई बहुत होगी,
फिर भी रो लेने के बाद हम सभलेंगे और चलेंगे,
मान जाएगी वो मेरी बात,
मुझे यकीन है बस तू मुझ में यकीन कर।
थोडा सुस्ता लें,
फिर निकलते है मंजिले मकसूद को,
जाना जहाँ है हमें,
रहना मजबूत मुकुर जाना नहीं_____
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साथ रहे हम हर पल,
अब कहते हो जाओगे अलग,
न मै जाऊँगी कहीं,
न जाने दूंगी तुमको और कहीं।
बांध के रखा है तुम्हें,
प्रीत की डोर से,
टूटने न दूंगी इसे,
किसी और के लिए,
ले जाने न दूंगी उसे, तुम्हें।
सदा रहना करीब तुम,
चलेंगें साथ साथ हम तुम,
जब आएगा वो,
और कहेगा चलो,
अब वक्त हो गया है।
तब चलेंगें साथ हम तुम,
तब चलेंगें साथ हम तुम।
//surendrapal singh//
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