Wednesday, July 16, 2014



कलम से _ _ _ _

मेरे लाख बुलाने से तो तुम आए नहीं,
क्या हो गया जो खुद ब खुद आगए,
मोहब्बत चीज ही ऐसी है,
लगती है आग इसकी तो फिर बुझती नहीं है।

//surendrapal singh//

07162014

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