Friday, July 18, 2014


कलम से _ _ _ _
छोड के सारे दुनियां के संबंध तुम मेरे साथ आई हो,
फर्ज अब मेरा बनता है तुम्हें तकलीफ कोई न हो।


//surendrapal singh//

07182014

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