कलम से _ _ _ _
छोड के सारे दुनियां के संबंध तुम मेरे साथ आई हो,
फर्ज अब मेरा बनता है तुम्हें तकलीफ कोई न हो।
//surendrapal singh//
07182014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
छोड के सारे दुनियां के संबंध तुम मेरे साथ आई हो,
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