कलम से _ _ _ _
चलो दिलदार के घर चलते हैं
दिलवालों से मिलके अपनी बात कहते हैं
नाराज होगें तो मना लेगें उनको हम
दिल ही तो दे और ले रहे हैं हम।
//surendrapal singh//
07182014
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