कलम से _ _ _ _
लोगों का विश्वास अपने से जब उठ जाता है,
भगवान के शरणागत वह मानव हो जाता है।
भाषा जो अपनी को त्याग दूजे की अपनाते हैं,
बच्चों को उसका ज्ञान दिला क्या गौरव वो पाते हैं।
कोई मां अपने बच्चों को भूखा कैसे छोडगी,
भारतमाता अपनी हिंदी को कैसे भूलेगी।
दोष नहीं है किसी अन्य भाषा का ज्ञान अर्जित करने में,
फर्क पडता जरूर है जब तुम गिरते हो अपनी नजरों में।
इजहारे इश्क जिस भाषा में अच्छा करते हो,
ऊसी भाषा से कामकाज से क्यों बचते हो।
मान सम्मान की हमारी राष्ट्र भाषा रखवाली है,
इसको अपनाओ तभी तुम्हारी इज्जत बढने वाली है।
भगवान के शरणागत वह मानव हो जाता है।
भाषा जो अपनी को त्याग दूजे की अपनाते हैं,
बच्चों को उसका ज्ञान दिला क्या गौरव वो पाते हैं।
कोई मां अपने बच्चों को भूखा कैसे छोडगी,
भारतमाता अपनी हिंदी को कैसे भूलेगी।
दोष नहीं है किसी अन्य भाषा का ज्ञान अर्जित करने में,
फर्क पडता जरूर है जब तुम गिरते हो अपनी नजरों में।
इजहारे इश्क जिस भाषा में अच्छा करते हो,
ऊसी भाषा से कामकाज से क्यों बचते हो।
मान सम्मान की हमारी राष्ट्र भाषा रखवाली है,
इसको अपनाओ तभी तुम्हारी इज्जत बढने वाली है।
//surendrapal singh//
07182014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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