कलम से _ _ _ _
चलने की तू बात अभी से न कर,
कुछ वक्त तो ठहर,
हमारे जीवन की ये शुरूआत भर है,
मंजिल दूर ही नहीं बहत दूर दूर है।
कर लेंगे ठीक जो बिगड गया है,
कोशिश करने से ही बिगडा वक्त ठीक हुआ है,
हिम्मत न हार तू मेरे यार,
बस तू सलामत रहे,
सलामत रहे तू और तेरा मेरा प्यार।
//surendrapal singh//
07182014
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